क्या यही जिंदगी है ?
गणेशवाहन पत्थर का हो,
तो सभी पूजते हैं,
मगर जिंदा हो,
उसे मारे बगैर
हमें चैन कहाँ?
सांप अगर
पत्थर का हो,
तो सब पूजते हैं,
जिंदा हो तो
मार दिए जाते।
मां-बाप अगर
तस्वीर में हो,
तो सब पूजते हैं,
जिंदा हो तो
दुत्कारते हैं!
इक पत्थर
और फ़ोटो से
इतना प्यार,
क्या यही ज़िन्दगी है,
मेरे यार!
साभार जादूगर
जग्गाजी।
कि गाँवों में
कुछ दिख जाते,
बारिश के रंग;
अब तो
जब होती बारिश,
यहाँ आती तबाही-
और शहर में
वो आकर,
गंदगी ही फैलाती।