जीवन की डगर
जीवन की डगर बहुत कठिन है
शूलों से भरा पथ हर दिन है
ठोकर पाँव को कभी दर्द दे जाती है
कभी हिम्मत को भी डरा कर भगाती है
चलते चलते थक जाना है
सुख दुःख संग संग पाना है
जीवन बड़ी दुःखदायी है
हँसाने रूलाने की करिश्माई है
नदियों की तरह बहते जाना है
पत्थर से भी पथ में टकराना है
जीवन की जिसने सौगात दिया
दुःख का भी इक बारात दिया
गम सामने जब आ जाता है
मदिरा शुकून दे जाता है
कभी भूखा सुला कर जाता है
जीवन की सच्चाई दिखलाता है
जीवन परेशान अक्सर करता है
कभी पुचकारता है कभी दुत्कारता है
कोई सुख से नहीं जी पाया यहाँ
समस्या से हर दिन घिर आया जहाँ
जब कोई राह ना मिलता है
इन्सान टुटकर बिखर जाता है
जिसने भी पाया यह जीवन
कभी हॅसकर ना जी पाया जीवन
— उदय किशोर साह