अउर का….
‘काव्याणु’ एक शब्द है, कोई भी मित्र इसे एक शब्द के रूप में टाइप करके मेरी चुनौती को अमल में लाकर दिखाइए तो जरा ! नियोजित भात-दाल अउर नियत साइज पापड़वाली सेवाशर्त्त नियमावली ! ….तो बात यह है-
‘बार नाल जी नहीं रहे, सुना कुछ !’
‘अरे कब ? कल 8 बजे ही तो मुझे स्कूल जाते बकत मिले थे !’
‘कल राति ही हार्ट अटैक आया था और चल बसे !’
‘….बताइये जरा ! इतना भी कोई लापरवाह आदमी होवत है!’
‘जीवन की हर छोटी-मोटी बातें इहाँ शेयर करत थे, बताइये जीवन की इतनी बड़ी बात शेयर करना भूल गए !’
‘कोई बात नहीं, भैया ! ठीके हुआ, वो सुप्रीम कोर्ट के पुनर्विचार फैसला पर त इधर नियोजित शिक्षक नेता फिर से चंदा माँगिश के तैयार रहत है, उ सब आजु आने को थे…’
‘त उ पैसवा चंदवा के, एकर दाह संस्कार में लगवा देल !’
‘अउर का !’