सम्मानित हुए श्रेष्ठ साठ रचनाकार
साहित्य शक्ति संस्थान देवरिया का द्वितीय सम्मान समोरह हर्षोल्लास के बीच सम्पन्न हुआ।इस कार्यक्रम मे भारत के कोने-कोने से रचनाकार जुड़े हुए थे।साहित्य शक्ति संस्थान हिन्दी भाषा और साहित्य के निरंतर उत्थान के लिए,उसके संवर्धन परिवर्धन और संरक्षण के लिए कृत संकल्पित है।इस संस्थान का का मुख्य उद्देश्य नवोदित कवित्व शक्ति सम्पन्न प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान करना है।सीखने-सीखाने-सराहने और समझाने के साथ-साथ आपसी प्रेम और भाईचारे के आधार पर यह संस्थान कार्य करते हुए आगे बढ रहा है। इस संस्थान के बैनर तले आज सैकड़ों की संख्या मे जुड़कर रचनाकार अपनी साहित्य साधना कर रहे है।
पूरे भारत मे इस संस्थान के वकायदे पदाधिकारी नामित है जो अपने अपने स्तर से इस साहित्य रथ को खींच रहे है।करोना संकट को देखते हुए यह यह सम्मान समारोह स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर अनलाइन संस्थान के ह्वाटसप पटल पर आयोजित किया गया था।इस संस्थान द्वारा कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयन्ती के अवसर पर दिनांक 31जुलाई 2021से 02 अगस्त 2021 तक कुल तीन दिवसीय काव्य महोत्सव का आयोजन किया गया था।जिसमे लगभग सैकडों रचनाकार अपनी रचनाधर्मिता के साथ उपस्थित रहे और कार्यक्रम मे भाग लेकर संस्थान की शोभा द्विगुणित किये।जिन रचनाकारो मुंशी प्रेमचंद काव्यमहोत्स्व मे अपना काव्यपाठ किए थे उन सभी रचनाकारो को साहित्य शक्ति संस्थान की शीर्ष कमेटी ने राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित की।
इस सम्मान समारोह कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ वागेश्वरी के वाणी वंदना से प्रारम्भ हुई।वाणी वंदना शिक्षिका व कवयित्री अंजुमन मंसूरी आरजू छिंदवाड़ा-मध्य प्रदेश ने प्रस्तुत कर कार्यक्रम को गति प्रदान की।हिन्दी गीत कवयित्री व शिक्षिका अर्चना द्विवेदी अयोध्या-उत्तर प्रदेश द्वारा और राष्ट्रीय गीत शिक्षिका व वरिष्ठ कवयित्री गुन्जा गुप्ता ‘गुनगुन’ देवरिया और डा0विनीता मिश्रा गोरखपुर द्वारा कर्णप्रिय स्वर में प्रस्तुत किया गया।आशीर्वचन उद्बोधन संस्थान के राष्ट्रीय संरक्षक वीरेन्द्र कुमार मिश्र बिरही गोरखपुर और डायट देवरिया के वरिष्ठ प्रवक्ता डा0प्रसून कुमार सिह जी ने देकर पटल पर जुड़े सभी स्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिये।संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0पंकज शुक्ल ‘प्राणेश’ ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा करते हुए उपस्थित 60 रचनाकारो को सम्मान पत्र जारी किए।
सम्मानित होने वालो रचनाकारो मे प्रमुख रूप से डा0 विमलेश अवस्थी कासगंज,बीनू शर्मा जयपुर,बृन्दावन राय ‘सरल’ जी सागर,मोहिनी गुप्ता हैदराबाद,नीरजा बसंती गोरखपुर,डा0प्रसून कुमार सिह जी डायट देवरिया,
अनुपम चतुर्वेदी संत कबीर नगर,पंकज त्रिपाठी ‘कौतेय’ हरदोई,दीपशिखा सागर छिंदवाड़ा,चारू मित्तल मथुरा, नीलोफर नीलू देहरादून,दीप्ति खुराना मुरादाबाद, आकांक्षा रूपा चचरा कटक,पुष्पलता लक्ष्मी रायबरेली,अनीता विश्वकर्मा पीलीभीत,बबली कुमारी रोहताश्व,कृष्णा मिश्रा ‘अतुल’ अनूपपुर,सीमा मिश्रा फतेहपुर,लता नायर सरगुजा, डिंपल तिवारी अयोध्या,डॉ0 प्रवीणा दीक्षित कासगंज, अंजुमन मंसूरी आरजू छिंदवाड़ा,शहनाज बानो चित्रकूट, अंजनी द्विवेदी देवरिया,महिमा तिवारी देवरिया,इंदु मिश्रा ‘किरण’ नई दिल्ली,प्रमिला मेहरा ‘किरण’ इटारसी, अनामिका चौकसे ‘अनु’ नरसिंहपुर,डा0 शीला चतुर्वेदी देवरिया,सुनीता सिह सरोवर देवरिया,मंजु कट्टा जयपुर,रानी कुशवाहा भोपाल, ममता कुशवाहा मुजफ्फरपुर, सुन्दरी अहिरवार भोपाल,अर्चना द्विवेदी अयोध्या,गुन्जा गुप्ता ‘गुनगुन’ देवरिया,राजीव गुर्जर मुरादाबाद,डा0श्वेता सिंह गौर हरदोई,डा0किशोर आनन्द आरा,सुमिता जी नालंदा,मणीबेन द्विवेदी वाराणसी,डा0समराना फैय्याज बरेली,सुमनलता सिह मेरठ,रचना सरन कोलकाता,रश्मि पाण्डेय फतेहपुर,डा0विनीता मिश्रा गोरखपुर,कामिनी मिश्रा उन्नाव,अभिलाषा सिह कौसाम्बी, ज्योति अग्निहोत्री ‘नित्या’ इटावा, शालिनी सिह देवरिया,क्षमा शुक्ला औरंगाबाद,रजनी उपाध्याय अनूपपुर,प्रणाली श्रीवास्तव सहडोल,दिव्या सक्सेना इंदौर,डा0जानकी झा कटक,अलका केशरी ‘आरिया’ सोनभद्र,दामिनी सिंह ठाकुर इदौर,अरूणा कुमारी राजपूत हापुड,अशोक प्रियदर्शी चित्रकूट,मूलदास चारण वाडमेर,भावना जी दिल्ली आदि रचनाकारो को सम्मान दिया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के संरक्षक और पूर्व प्राचार्य वीरेन्द्र कुमार मिश्र ‘बिरही’ जी गोरखपुर तथा सफल संचालन शिक्षिका व कवयित्री कामिनी मिश्रा उन्नाव ने किया।सभी सम्मान पत्रो का मुद्रण बबली कुमारी जी रोहतास तथा आभार प्रकट संस्थान की प्रदेश अध्यक्ष नीरजा बसंती ने किया।उपस्थित सभी रचनाकारो ने इस अभिनव कार्यक्रम की खूब प्रशंसा की।संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिव्या सक्सेना इंदौर और राष्ट्रीय सचिव प्रणाली श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के अंत मे संयुक्त रूप से बताया कि इस प्रकार का सम्मान समारोह हर माह आयोजित किया जाएगा।
— डा. पंकज प्राणेश