कविता

शिष्टाचार

आचार, विचार, शिष्टाचार
हर व्यक्ति, परिवार, समाज की
अनिवार्यता है,
इसके बिना हमारी पहचान
सदा होती शर्मिंदा है
शिष्टाचार का अपना सिद्धांत है
जो इसकी मर्यादा का करे पालन
बढ़ाता उसका मान है,
वरना बिना कुछ किए धरे
घटता व्यक्ति का मान है।
शिष्टाचार सीख लीजिए
जीवन में उपयोग भी कीजिये,
शिष्टाचार की डिग्री नहीं होती
वो तो आप का गुण होता है,
शिष्टाचार के बिना भला व्यक्ति
सम्मान कब,कहाँ कैसे पाता है
ये तो हम सबको खुद ब खुद
बहुत अच्छे से समझ आता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921