आम की पौध: एक बाल गीत
मां मेरी इक विनती मान ले,
आम की पौध तू मुझे मंगा दे,
बगिया में इसको रोपूंगा,
फलते देख खुश होऊंगा.
मत पूछो क्या लाभ हैं इससे,
प्रदूषण दूर भगाऊंगा,
धूप से मुझे बचाएगा यह,
ठंडी छाया पाऊंगा.
जब यह खूब बड़ा होगा,
इस पर झूला डालूंगा,
सब मित्रों को यहां बुलाकर,
झूलूंगा और झुलाऊंगा.
मीठे-मीठे आम लगेंगे,
खाऊंगा और खिलाऊंगा.
इसके हरे-हरे पत्ते मैं,
अपनी बकरी को खिलाऊंगा,
ईंधन को लकड़ी भी देगा,
रोटी खूब पकाऊंगा,
इसकी छाया तले बैठकर,
मीठे गीत मैं गाऊंगा.
इसके काठ (समिधा) से हवन कराकर,
वायु शुद्ध बनाऊंगा,
टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग मैं
इससे दूर भगाऊंगा.
इसकी गिरी से मक्खन बनाकर,
आयात खर्च बचाऊंगा,
औषधियां भी इससे मिलतीं,
डंके की चोट बताऊंगा.
इसके वृक्ष से गोंद भी मिलता,
छाल से काढ़ा बनाऊंगा.
आम के पत्ते बड़े काम के,
गुर मैं सबको सिखाऊंगा.
आम का बौर कई रोग भगाए,
इससे इत्र बनाऊंगा.
आम के पत्तों की झालर से,
घर को सजा महकाऊंगा.
आम की पौध लगाऊंगा मैं,
पर्यावरण को बचाऊंगा.
आदरणीय गुरमैल भाई जी, सादर प्रणाम, आपने को ”आम की पौध: बाल गीत” ब्लॉग हमेशा की तरह बहुत बढ़िया लगा, यह जानकर मन अत्यंत हर्षित हुआ. आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल आशीर्वाद है. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. ”वाकई आम के पेड़ का हर हिस्सा बहुत उपयोगी है. हमारा तो बचपन ही आम के पेड़ों के संग गुजरा. हर बच्चा अपने हाथ से पेड़ लगाए तो उस को जिंदगी भर याद रहेगा और पर्यावरण शुद्ध रखने में भी सहायक होगा. बहुत सुंदर बाल गीत, जो छोटे बड़े सब को समझने की जरूरत है .” ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
बहुत सुंदर बाल गीत जो छोटे बड़े सब को समझने की जरूरत है .