कविता

पीड़ा

अंतस की पीड़ा समेट कर
जब कदम दो चार चला
अधरों पर मुस्कान ला
दिल को हर बार छला

न जाने कब आंखें बरसी
अश्रु गालों पर फिसला
किस किस को याद करूं
कौन देगा साथ भला

कभी ताना, कभी उलाहना
जुबाँ से कई बार जला
किससे शिकवा, किससे गिला
जब उनके बीच पला

जो नहीं थी बात मुझे पता
दूसरों को पहले पता चला
थोड़ी सी चैन सुकून मिले
जीवन तारिणी संग बह चला

मेरे शब्द मेरी पहचान बने
मन सागर सरीखा बन चला
वेदना नींव प्रणीत भविष्य
वर्तमान श्याम बह चला

अवचेतन मन की भावना
चेतन मन समझ चला
जीवन संग बहना है धीरे
सीखा चुप रहने की कला

बहुत सारी चाहतों को
वक्त के हवाले कर चला
वो वक्त आएगा, क्या पता
आगत संग बह चला

श्याम सुन्दर मोदी

शिक्षा - विज्ञान स्नातक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से प्रबंधक के पद से अवकाश प्राप्त, जन्म तिथि - 03•05•1957, जन्म स्थल - मसनोडीह (कोडरमा जिला, झारखंड) वर्तमान निवास - गृह संख्या 509, शकुंत विहार, सुरेश नगर, हजारीबाग (झारखंड), दूरभाष संपर्क - 7739128243, 9431798905 कई लेख एवं कविताएँ बैंक की आंतरिक पत्रिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित। अपने आसपास जो यथार्थ दिखा, उसे ही भाव रुप में लेखनी से उतारने की कोशिश किया। एक उपन्यास 'कलंकिनी' छपने हेतु तैयार