कविता

रिश्तों की बुनियाद

हर पर्व परंपराएं, मान्यताएं
रिश्तों की बुनियाद मजबूत करते हैं
ठीक वैसे ही हर तीज त्योहार भी
रिश्तों को प्रगाढ़ता देते हैं।
हमारे समाज में
हर तीज त्योहार के केंद्र में हैं
हमारी माँ, बहन, बेटियां
हमारी नारी शक्तियां।
इनके बिना किसी त्योहार का
भला मतलब ही क्या है?
कभी भाई, तो कभी बेटा
कभी पति तो कभी परिवार की खातिर
तिल तिल होम करती
आ रहीं हैं खुद को
हमारी नारी शक्तियां।
महज विश्वास भर है
जिसकी बदौलत खिलखिलाता
सारा जहान है,
रौनक है परिवार, समाज और
समूची धरा पर।
जोड़ती हैं सूत्र सूत्र, सूत्रधार बन
सजाती, संवाँरती जतन करती रहती हैं,
बहुत कुछ सहती हँसते हुए
मजबूत करने की जुगत में
सदा रिश्तों की बुनियाद।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921