ग़ज़ल
मचलना रूठना उनका मनाना अच्छा लगता है |
मोहब्बत से मोहब्बत को निभाना अच्छा लगता है |
मचलते ख्वाब आंखों में सितारे जगमगाते हैं –
जो हों अरमान पूरे मुस्कुराना अच्छा लगता है |
निगाहों ने निगाहों से कहा जो कुछ सुना हमने –
निगाहें नाज़ से पलकें झुकाना अच्छा लगता है |
चलाकर तीर नज़रों से हया से मुस्कुरादेना –
नज़र की शोखियों का ये निशाना अच्छा लगता है |
बड़ी मायूस सी थी ज़िन्दगी जब संग नही थे तुम –
तेरे आने से ये मौसम सुहाना अच्छा लगता है |
तेरे आने से महफ़िल सज गयी रौशन हुई दुनिया –
बहर पर गीत गज़ले गुनगुनाना अच्छा लगता है |
मेरे दिल पर तुम्हारा नाम लिखा है बहुत गहरा –
तुम्हारे नाम की बिंदिया लगाना अच्छा लगता है |
खजाने से नहीं कम है तुम्हारे प्यार की दौलत –
तुम्हारे प्यार में जीवन रंगाना अच्छा लगता है |
नहीं परवाह कोई साथ हो जब तुम मेरे हमदम –
तुम्हारी ही बदौलत ये जमाना अच्छा लगता है |
मेरी हर सांस हर धड़कन तुम्हारा नाम लेती है –
तुम्हारे नाम की मेंहदी लगाना अच्छा लगता है |
मंजूषा श्रीवास्तव”मृदुल”