बाल कविता

मेरा खेत

प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।
उसमें फसलें लहरातीं,
मेरे मन को बहुत लुभातीं ।
पीली सरसों- महके सरसों,
फूले अरहर- झूमे अरहर ।
चहुं ओर है छाई बहार ।।
बेहद लंबा हुआ बाजरा,
उग आये मूली- गाजर ।
लाल हुआ गोल टमाटर ।।
प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।
किसी से कम न गोभीआलू,
बहुत रुलाते प्याज- रतालू ।
कलुआ बैंगन बन बैठा राजा,
कद्दू का पीकर हो गया मोटा ।
गन्ना कभी नहीं देता टोटा ।।
बहुत महकता धनिया,
भाव खा रही मटर ।
सुध-बुध हो गई ज्वार ।।
सबको उगाता मेरा खेत ।
हरा भरा सुंदर खेत ।।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111