कविता

कोहरा

न हूँ मैं डरी ,सहमी ,दबी सी
न बोल्ड ,तेज़ ,तरार
न हूँ मैं चार दिवारी में सिमटी
न पार्टीज़ की शान
न हूँ मैं पलू ओढ़े
न कम से कम कपड़ों में
क्या कसूर मेरा की न मैं
पिछड़ी हूँ न मैं आधुनिक
क्या कसूर मेरा भाए मुझे
सलवार सूट , साड़ी
न जीन्स, न मिनी स्कर्ट
क्या कसूर मेरा भाये न
 मुझे सिगरेट , शराब,
लेट नाईट पार्टी या आउटिंग्स
क्या कसूर मेरा भाये
मुझे घर और परिवार ज़्यादा अपना
न की दुनिया और दोस्त
क्या कसूर मेरा की
न हूँ मैं पुरानी पीढ़ी सी न आधुनिक
क्या कसूर मेरा भाये शांति ज़्यादा
शोर शराबे से
क्या कसूर मेरा भाये न
तड़क भड़क हो गीत, खाना
या फिर पहनावा
क्या कसूर मेरा भाये
सादगी ज़्यादा हो भाषा, सोच या विचार
कैसे हटे कोहरा नज़रों का
जो तोलता है अपने पैमानों से
न देखे अंतरमन बस देखे बाहरी दिखावा
न देखे गुण बस देखे आवरण
न देखे मुझे मेरी नज़र से बस
नापे, तोले अपने ही बनाये नियमों से
अब क्या कसूर मेरा
अगर नहीं चाल, ढाल, बोल,
पहनावा जैसा चाहिए नज़रों को
क्या कसूर मेरा अगर है कोहरा
 घना उनकी आँखों पर
आधुनिकता के नाम पर दिखावे
का फिर चाहे हो काम, नाम,
खान पान या पहनावा ….।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |