कविता

एक प्रयत्न

कुछ नहीं गिला  तुझसे
जो पाया वह क्या कम है?
अब तक जो मुझको मिला
वह मुझे अमृत सम  है|
कभी एक छोर छूटा
तो मिला कभी ऐसा आंचल
गम करती उसका कभी तो
संभाल लेता कोई कदम|
इसे  कर्मों का फल कहूं
या तेरा यह आशीर्वचन
पाकर सब करती हूं
हे प्रभु तेरा अभिनंदन|
कभी उहापोह से भरा
तो कभी शांत ठहरा जल
बनी रहूं अनवरत मैं कर्मठ
हो ना कभी कर्तव्य विफल|
इतने सुकृत्यों  के उपरांत
मिला है यह  मानव तन
गिला नहीं जब कुछ मुझे
ना दुखे मुझसे फिर किसी का मन|
चहुँ और मने फिर जश्न ही जश्न
यही रहे  मेरा सदैव प्रयत्न|
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]