राजनीति

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और नफरत की राजनीति

भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अतिलोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान जिस प्रकार से सुरक्षा चूक हुई है ,वह बहुत ही अक्षम्य, असहनीय तथा हर देशभक्त नागरिक तथा जो लोग विकास के लिए काम कर रहे हैं उन सभी के लिए दुःखदायी घटना है। यह घटना एक प्रधानमंत्री के साथ हुई है और नरेंद्र मोदी जी को जनमानस ने अपना अमूल्य मत देकर प्रधानमंत्री चुना है वह भी एक बार नहीं, अपितु दो बार। एक ऐसी शख्सियत के साथ इस प्रकार की घटना हो जाना तो और भी अक्षम्य अपराध है। पंजाब की घटना से न सिर्फ देश का सिर झुक गया है अपितु पंजाब की पंजाबियत का भी सिर शर्म से झुक गया है। सिख पंथ के सभी गुरुओं ने प्रेम, शांति और अहिंसा तथा त्याग का जो संदेश जनमानस को दिया है उसका भी सिर शर्म से झुक गया है। पंजाब की जो घटना घटी है वह एक सुनियोजित साजिश ही है और उस पर सभी जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्यवाही तो बनती ही है। नरेंद्र मोदी देश के आम नागरिक नहीं, अपितु वह देश के प्रधानमंत्री हैं और जिस राज्य में प्रधानमंत्री की सुरक्षा नहीं हो सकती वहां की आम जनता का क्या हाल हो रहा होगा यह समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री के साथ घटित घटना के बाद यह साबित हो गया है कि पंजाब का पूरा प्रशासन तंत्र खालिस्तानी वामपंथियों के शिकंजे में आ चुका है और 5 जनवरी को किसान आंदोलन की आढ़ में प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश रची गयी थी और प्रधानमंत्री भगवान भोलेनाथ और मां गंगा की कृपा से सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे हैं।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक का समाचार आया तो उसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने सोशल मीडिया में जिस प्रकार से बयानबाजी करी और देशभर के विरोधी दलों के नेताओं ने जिस प्रकार से किसानों का हितैषी बनने का प्रयास किया, वह और भी दुखद रहा और नफरत भरा भी। आज जो कांग्रेसी नगर पालिका का चुनाव तक नहीं जीत पा रहे हैं, वही लोग अब मोदी व भाजपा के खिलाफ नफरत में इतने अंधे हो चुके हैं कि अब वह प्रधानमंत्री के लिए मृत्युजाल बुन रहे हैं। सोशल मीडिया में रास्ता रोकने वाले किसानों का महिमामंडन किया गया और प्रधानमंत्री के लिए मृत्यु की कामना तक की गयी। आज देश का राजनैतिक स्तर कितना दिवालिया हो गया है विरोध के नाम पर।
प्रधानमंत्री के साथ पंजाब में जिस प्रकार से घटना घटी है यह सीधे देश के प्रधानंमत्री की जान पर हमला करने की साजिश थी जिसमें कांग्रेस न सिर्फ शामिल थीं, बल्कि उसकी ही सिर्फ प्लांनंग भी थी और उसी प्लानिंग के तहत की सोशल मीडिया पर ट्विट आने लग गये थे। पंजाब की घटना प्रधानमंत्री का अपमान है और भारत के संघीय ढांचे को सीधी चुनौती है। हमारा इंटेलीजेंस सिस्टम भी कही फेल रहा है और उसे गलत सूचनाएं दी गयी हैं और लीक की गयीं। अब अगर यह पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय से हुआ है तब तथाकथित दलित ईसाई मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सरकार को तत्काल बर्खास्त करने का आधार बन रहा है। आज पूरा देश सरकार के साथ खडा है और सरकार से मांग कर रहा है पंजाब में राष्ट्रपति शासन और चन्नी की गिरफ्तारी की। हमारा इंटेलीजेंस कभी मौसम पर निर्भर है जब जनरल साहब की बात हो या फिर कहीं भीड़ तंत्र की दया पर जब प्रधानमंत्री का बात हो। हमारे प्रधानमंत्री को ईश्वर ने बचाया। दुःख होता है यह देखकर कि क्या भारत का सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री राज्यों की सुरक्षा का इतना मोहताज है?
आज जिन राज्यों में भाजपा सरकार नहीं, वे राज्य ऐसा दिखा रहे हैं कि जैसे वे कोई दूसरा देश हों। अगर इस घटनाक्रम के बाद पंजाब सरकार को कड़ी सजा नहीं मिली, तो यह घटना कल तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड में भी हो सकती है। इस पूरे घटनाक्रम में यह तथ्य भी देखना होगा कि हर घटना पर चिड़िया उड़ाने वाले राहुल गांधी आज विदेश में बैठे हैं, लेकिन इस घटना पर उनका एक भी ट्विट नही आया है और वह विदेश यात्रा पर जाने के पहले एक ट्विट करके गये थे कि माब लिचिंग शब्द 2014 से पहले नहीं था, अतः घटना की जांच यहीं से शुरू होनी चाहिए। यह प्रधानमंत्री को माब लिचिंग की घटना कराकर मारने की ही साजिश थी, क्योंकि महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव की हिंसा की जांच में एनआईए को नक्सली नेताओं का एक पत्र मिला था, जिसमें प्रधानमंत्री को भीड़ में मारने की बात कही गयी थी।
पंजाब में प्रधानमंत्री के काफिले के साथ जो भी हुआ उसकी गंभीरता का अधिकांश लोगों को अनुमान तक नहीं है। सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के काफिले को एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक रोक दिया गया। यह घटना उस राज्य में घटी है जहां खालिस्तानी आतंकवाद राज्य के मुख्यमंत्री सहित हजारों लोगों की जान ले चुका है। प्रधानमंत्री को अपने गंतव्य स्थल पर हेलीकाप्टर से जाना था, किंतु अचानक मौसम खराब हुआ और निर्णय लिया गया कि सड़क मार्ग से जाया जायेगा। कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री को तत्काल सूचित किया गया लेकिन उन्होंने फोन तक नहीं उठाया और यह जानकारी कि किस सड़क मार्ग का प्रयोग होगा यह जानकारी प्रदर्शनकारियों और स्थानीय नागरिकों तक पहुंच ही नहीं सकती थी। यह सभी सूचनाएं केवल राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन तक ही सीमित रहती हैं।
किंतु फिर भी चमत्कारिक रूप से प्रधानमंत्री के काफिले द्वारा प्रयोग किये जाने वाले उसी फ्लाईओवर के आगे ठीक उसी समय पर प्रदर्शनकारियों का प्रकट हो जाना और प्रधानमंत्री के काफिले को रोक देना और परोक्षरूप से बंधक बना लेना और राज्य की पुलिस द्वारा मार्ग पुनः चालू करवाने में 15 से 20 मिनट लगा देना कोई संयोग नहीं हो सकता।
यह सारा का सारा घटनाक्रम पंजाब सरकार, सत्ताधारी दल, पुलिस प्रशासन खालिस्तानियों और भारत विरोधी ताकतों का मिला जुला षड़्यंत्र था, जिससे देश का नायक सकुशल बचकर निकल आया है।
घटना के बाद एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें फर्जी किसान और पंजाब पुलिस के जवान उन्हीं किसानों के लंगर में एक साथ चाय पी रहे हैं, जिससे सब कुछ साफ हो रहा है। पूरे घटनाक्रम में एक बात और पता चली है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चन्नी को भी शामिल होना था, लेकिन उन्होंने अचानक कोरोना का बहाना बनाकर अपना वहां पर जाना रद्द कर दिया। प्रधानमंत्री के काफिले के साथ राज्य के डीजीपी की कार तो थी, लेकिन वह उसमें नहीं थे। उनके काफिले में चीफ सेक्रेटी की कार थी, लेकिन वह भी उसमें नहीं थे, जिससे यह साफ हो रहा है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और देश के महानायक प्रधानमंत्री के लिए एक बेहद खतरनाक मृत्युजाल बुना गया था। सबसे बड़ी बात यह भी थी कि प्रधानमंत्री का काफिला जिस फ्लाईओवर पर रोका गया, वहां से पाकिस्तानी सीमा महज 10 किमी दूर थी और वहां पर कई आतंकी घटनाएं हो चुकी थीं। एक खबर यह भी आ रही है वहां पर एक टिफिन बम भी डिलीवर हो चुका था। वह एक ऐसा रास्ता था जहां प्रधनमंत्री का काफिला न आगे जा सकता था और नहीं पीछे जा सकता था। ऐसे मार्ग पर प्रधानमंत्री के काफिल के साथ कुछ भी हो सकता था? फ्लाईओवर के नीचे से भी धमाका किया जा सकता था और फर्जी किसानों की आढ़ लेकर भी उन पर हमला हो सकता था।
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि देशद्रोही कांग्रेस के तथाकथित थोपे गये एक्सीडेंटल ईसाई मुख्यमंत्री चन्नी ने प्रधानमंत्री की यात्रा का प्लान खालिस्तानी आतंकियों को दे दिया था। केंद्र सरकार के लिए अब यही समय है और सही समय है कि चन्नी जैसे देशद्रोहियों को पूरी ताकत के साथ कुचल दिया जाये। अब आज पूरा देश मोदी जी के साथ खड़ा है और आगे भी रहेगा।
पूरी घटना के बाद जब पूरे देशभर में हल्ला मचा और जिस प्रकार से पंजाब के मुख्यमंत्री अपनी सफाई पेश कर रहे थे वह भी एक सुनियोजित व पूर्वनियोजित ड्रामा ही नजर आ रहा था। अगर उन्हें कोविड प्रोटोकाल की इतनी ही चिंता थी, तो वह प्रेसवार्ता में बिना मास्क नजर आ रहे थे।
प्रधानमंत्री का पंजाब दौरा अचानक ही तय नहीं हुआ था। कृषि कानूनों की वापसी के बाद 27 दिसंबर 2021 को फिरोजपुर रैली तय हो गयी थी और वह पंजाब को विकास कार्यों की एक बहुत बड़ी सौगात ही देने आये थे। पंजाब ने जिस प्रकार से प्रधानमंत्री को आहत किया उससे यह भी साबित हो रहा है पंजाब सरकार पूरी तरह से विकास विरोधी है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हो जाने के बाद पंजाब 43 हजार करोड़ की परियोजनाओं के उद्घाटन से वंचित रह गया। यह पंजाब के लोगो के लिए बेहद शर्मनाक स्थिति बन रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री व कांग्रेस ने जिस प्रकार से देश के महानायक की सुरक्षा को खतरे में डाला वह अक्षम्य है और देश की जनता आने वाले समय में इन लोगों को माफ नहीं करेगी और अपने मतों के माध्यम से नकली किसान हितैषियों को सबक सिखायेगी। अब तो लोकतंत्र में भाजपा का यह अधिकार बनता है कि कांग्रेस ने किस प्रकार से देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रची, वह पूरे देश को बताया जाये और देशद्रोहियों को कड़ी सजा दी जाये।
— मृत्युंजय दीक्षित