ग़ज़ल
क़दम नव बढ़ाना नये साल में।
जहां जगमगाना नये साल में।
अँधेरे भगाना नये साल में।
दिये मिल जलाना नये साल में।
नहीं ग़म उठाना नये साल में।
डगर नव बनाना नये साल में।
पुरानों से नफ़रत न करना ज़रा,
नये गुल खिलाना नये साल में।
वो प्यारे जो रूठे थे पिछले बरस,
उन्हें जा मनाना नये साल में।
— हमीद कानपुरी