कविता

जन्मदिन से  पुण्यतिथि तक

जिंदगी जब ….
जन्मदिन से पुण्यतिथि मनाती है।
 वो कितना टूटी है पल-पल।
अपने टूटे टुकड़ों को,
 जोड़कर पूरा होने का ,
नाटक बखूबी निभाती है ।
जिंदगी जब जन्मदिन से पुण्यतिथि मनाती है।
 कुछ नहीं ….बदलता ।
लेकिन बहुत कुछ बदल जाता है।
चेहरों पर  से  चेहरे उतर जाते हैं।
 आसपास की भीड़ के ,
रास्ते बदल जाते हैं ।
जिंदगी जब जन्मदिन से पुण्यतिथि मनाती है ।
बहुत कुछ कहने को होता है।
बहुत कुछ कहने को होता है।
 लेकिन शब्दों में एक,
 अंदर ……तक।
 एक घुटनभर जाती है।
 कैसे बदल जाती है जिंदगी।
 उस शक्स की,
 अहमियत पल-पल याद आती है।
— प्रीति शर्मा असीम

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]