कविता

कविता : बेरोजगार हूं

कभी कट्टर हिंदूवादी हूं
कभी कट्टर भाजपा समर्थक हूं
कभी कट्टर मोदी समर्थक हूं
कभी कट्टर योगी समर्थक हूं
क्या करूं मैं बेरोजगार हूं।

कभी कट्टर हिंदूवादी हूं
कभी अयोध्या राम मंदिर चाहता हूं
कभी काशी विश्वनाथ मंदिर चाहता हूं
कभी मथुरा श्रीकृष्ण मंदिर चाहता हूं
कभी आगरा तेजो महादेव चाहता हूं
क्या करूं मैं बेरोजगार हूं।

कभी कट्टर हिंदूवादी हूं
कभी सरकारी नौकरी की तैयारी करता हूं
कभी परीक्षा होने का इंतजार करता हूं
कभी परिणाम के लिए आंदोलन करता हूं
कभी सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर मारा जाता हूं
क्या करूं मैं बेरोजगार हूं।

कभी कट्टर हिंदूवादी हूं
कभी अपने अधिकारों के लिए लड़ता हूं
कभी अपने हक की मांग मैं करता हूं
कभी शासन प्रशासन से सवाल करता हूं
इसलिए आजकल मैं अपने देश में देशद्रोही कह लाता हूं।
क्या करूं मैं बेरोजगार हूं।

– दीप खिमुली

दीप खिमुली

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार दिल्ली