कौन नगरिया जाना रे तुझको
कौन नगरिया जाना रे तुझको
रही कौन तेरी डगरिया
कहां से रे तू आया
कहां तुझे है जाना
जब तक तू रहा यहां
थे सब तेरे मीत
उठा जो डेरा यहां से तेरा
रहा न कोई मीत
चंद दिनों की थी यह यारी
सबने अब बिसराया
खाई थी कसमें जिसने
जीवन भर साथ निभाने की
झूठी हो गई सब वो कसमें
राह पकड़ते ही तेरे
कौन नगरिया जाना रे तुझको
रही कौन तेरी डगरिया