कविता

रंगों का त्योहार है यौवन

रंगों का त्योहार है यौवन,
हंसना- रोना प्यार है यौवन।
स्वप्न -लोक में आना-जाना ,
सफर सलोना यार है यौवन।
रम जाये कोई तन -मन में ,
परिभाषा के पार है यौवन।
चक्रवात मानस में भर दे ,
जीवन वह सार है यौवन ।
उष्ण करे मन , तन को शीतल,
अब्याखित अधिकार है यौवन।
जीवन का पथ स्वयं बनाता ,
शौर्य , समर ,तलवार है यौवन।
—  शिवनन्दन सिंह

शिवनन्दन सिंह

साधुडेरा बिरसानगर जमशेदपुर झारख्णड। मो- 9279389968