इतिहास

लेखन की रवींद्रा: मौसमी चंद्रा

आप कवींद्र रवींद्रनाथ ठाकुर के बारे में तो जानते ही हैं. उनकी लेखनी में इतनी क्षमता थी, कि उसकी शक्ति को सारी दुनिया ने जाना-पहचाना और माना. लेखन की इसी शक्ति के नाम है उनकी अप्रतिम कृति “गीतांजलि” के लिए नोबेल प्राइज़ का मिलना. विशेष यह है कि इस किताब में लिखी प्रत्येक कविता एक स्वर लिए हुए है जिसे आप अपनी धुन में गा भी सकते हैं. रवींद्रनाथ टैगोर के नाम से रवीन्द्र संगीत भी प्रसिद्ध है. उनके लेखन का यह तो महज एक ही अंश है. बहुआयामी व्यक्तित्व के शहनशाह कवींद्र रवींद्रनाथ ठाकुर ने “एकला चलो रे” का मंत्र दिया, जो कोरोना के समय बहुत कारगर रहा. यहां हम अपनी एक छोटी-सी क्षणिका प्रस्तुत कर रहे हैं-
“एकला चलो रे
रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा था एक गीत
”एकला चलो रे” यह गीत
हुआ था सबका मन-मीत
”एकला चलो रे” का मतलब यह नहीं था
कि सबके साथ मत चलो
पर हो गया इसके विपरीत.
”एकला चलो रे” से
रविंद्रनाथ टैगोर का तात्पर्य था
गलत दिशा में बढ़ रही भीड़ का हिस्सा मत बनो
उस से बेहतर है अकेले चलो
पर हमने सबके साथ चलना छोड़ दिया
अकेले चलना सीख लिया है
रिश्तों के फेस को छोड़कर
फेसबुक से नाता जोड़ लिया है.”

बहरहाल आज हम जिस व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहे हैं, उनका नाम है- “मौसमी चंद्रा”. मौसमी चंद्रा के लिए हम लेखिका भी कह सकते थे, लेकिन यह एक विशेषण उनके लिए बहुत ही कम पड़ता है. वे लेखिका हैं, कथाकार हैं, कवयित्री हैं, गायिका हैं और भी न जाने क्या-क्या हैं! इसलिए हमने इस बहुआयामी हस्ती के व्यक्तित्व से परिचय करवाने की बात कही है.

मौसमी चंद्रा से हमारे परिचय की गाथा भी बड़ी अद्भुत है! आपने हमारी लघुकथा “स्टेपनी” तो पढ़ी ही है. यह लघुकथा एक साहित्यिक मंच पर प्रकाशित हुई थी. उस पर मौसमी चंद्रा की प्रतिक्रिया आई- “मेरी भी एक लघुकथा का शीर्षक स्टेपनी है…” इससे लेखिका को संभ्रम न उत्पन्न हो, उन्होंने साथ ही लिख दिया कि “उसकी विषयवस्तु इससे अलग थी.” एक प्रतिक्रियाकार के रूप में उनकी यह सबसे बड़ी विशेषता है.

मुझे उनकी लघुकथा देखने-पढ़ने का विचार आया तो मैंने उनको मैसेंजर पर मैसेज कर दिया. मौसमी जी ने तुरंत उस लघुकथा का लिंक भेज दिया, जो एक साहित्यिक मंच “फलक” पर छपी थी. इससे पहले मुझे न तो मौसमी चंद्रा का पता था, न फलक का. फिर तो हम मौसमी चंद्रा से भी जुड़ गए और फलक से भी. मंच फलक की बात तो हम कामेंट्स भी कर लेंगे, फिलहाल इतना बता दें कि मौसमी चंद्रा जी के परिचय का फलक कहें पटल कहें या कि कैनवास कहें, इतना विस्तृत है कि उसके लिए अनेक उपन्यास भी कम पड़ेंगे. इसलिए संक्षेप में मौसमी चंद्रा जी के शब्दों में ही मौसमी चंद्रा जी का परिचय-

•• जीवन परिचय:
✓ नाम:मौसमी चन्द्रा
✓ जन्मतिथि:11.04.80
✓ जन्मस्थान:पटना
✓ माता का नाम:श्रीमती सरोज सिन्हा
✓ पिता का नाम:श्री अशोक कु.सिन्हा
✓ शिक्षा:स्नातक
✓ कार्य:अध्यापन
✓ पता: 304 सेहरा अपार्टमेंट जगतपुरा रोड न्यू बायपास पटना
✓ ई-मेल: [email protected]
पर्सनल ब्लॉग-moshmi chandra-writer
✓ मोबाइल व व्हाट्सएप नंबर: 9334995302(ई-बुक में नहीं दिया जाएगा)
✓ प्रकाशन:
टूटती साँकलें ( एकल कहानी संग्रह)
रत्नावली( काव्य संग्रह),
अनंता( काव्य संग्रह),
किस्सागो (कहानी संग्रह ),
गुंजित मौन (लघुकथा संग्रह),
दीया और बाती (साझा कहानी संग्रह)
अब आ जाओ (काव्य संग्रह)
5 लघुकथाओं का नेपाली भाषा में अनुवाद ,
एवम 300 से अधिक समाचार पत्रों में कविताएं और कहानियां प्रकाशित।
✓ सम्मान:खास नहीं बस कुछ साहित्यिक मंचों द्वारा सम्मानित हुई(लेखन संबंधित प्रतियोगिता)

यूट्यूब चैनल किस्सा-कहानी,न्यूज़4एशिया और प्रवासी सन्देश पर आप मेरी कहानी और कविताएँ मेरी आवाज में सुन सकते हैं।

यह तो हुआ मौसमी जी की कलम से मौसमी जी का संक्षिप्त परिचय. आपने देखा ही होगा कि इस संक्षिप्त परिचय की झलक में कितना विस्तृत फलक समाया हुआ है! चलते-चलते यह भी बता दें कि यह सब कैसे होता है!
27 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया की सुबह हमने अपनी एक लघुकथा पर मौसमी जी की प्रतिक्रिया को लाइक किया, तो मौसमी जी ने भी तुरंत उस पर प्रतिक्रिया स्वरूप लाइक कर दिया. उस समय भारत में रात के दो बजे होंगे. हमें आश्चर्य तो होना ही थी! हमने पूछा-
“अभी तक जग रही हैं?”
“रोज ही जगती हूँ.” जवाब मिला
“अब जाना 24 घंटों में 48 घंटों के काम होने का राज!” हमारी प्रतिक्रिया थी.

 

मौसमी जी की 5 लघुकथाओं का नेपाली भाषा में अनुवाद हुआ है, जिसे वहां के एक पब्लिशर पुष्कर जी ने अंजाम दिया है, इसके साथ ही उनकी एक कहानी को अनुवाद कर वहां के चैनल पर भी चलाया है. मौसमी जी, बहुत-बहुत बधाइयां.

यहां पर हम मौसमी जी की एक पसंदीदा कविता का जायजा लेते चलते हैं-
#दिसम्बर
**
कुछ जाना
कितना कुछ बाकी रह गया,
दिलाकर हमें एहसास,
इस बार भी
ये दिसम्बर निकल गया…

खुद के खोल दिये पन्ने सारे,
कुछ वो भी कहता
इंतज़ार में साल गुजर गया!
इस बार भी
ये दिसम्बर निकल गया…

पूरे बरस सीखते रहे
कामरानी के गुर,
नाकामयाबियों के फ़ेहरिस्त में
नाम अपना आ गया!
इस बार भी
ये दिसम्बर निकल गया…

हँसी के परतों में
छिप रहे अश्क
कैसे ये वहम हमको हो गया!
की उधेड़ के जख्म सारे!
इस बार भी
ये दिसम्बर निकल गया …
#मौसमी_चन्द्रा

इस कविता तथा अन्य अनेक कथा-कविताओं को मौसमी जी ने अपनी अपनी खनकती आवाज़ में रिकॉर्ड भी किया है.

बात रिकॉर्ड की चल निकली है, तो यह भी बताते चलें कि रिकॉर्ड करना उनका शौक भी है और विशेषता भी. मौसमी जी अपनी तथा अन्य लेखकों की कथा-कहानियों को अपनी ही आवाज में रिकॉर्ड करके ऑडियो-वीडियो भी बनाती हैं. रिकॉर्ड के लिए वे अन्य साथियों को भी प्रोत्साहित करती हैं. आपको तो पता ही है, कि हमारी दो लघुकथाओं “आज का कण्व” और “अधूरा चित्र” का नैरेशन उन्होंने रीता चंद्रा जी से करवाया है. सबको साथ लेकर चलना मौसमी जी की विशेषता है.

अभी कल ही भाई राजकुमार कांदु ने उनसे मेरे बारे में कुछ बताकर मुझे अपने वाट्सअप ग्रुप में सम्मिलित करने को कहा, मौसमी जी ने तुरंत मेरे से फोन पर बात की और बहुत बढ़िया नोट बनाकर अपने ग्रुप में मुझे सम्मिलित किया. सुबह जब मैं उठी तो मेरे लिए वाट्सअप ग्रुप पर ढेरों स्वागत-संदेश आए हुए थे. सचमुच किसी ग्रुप में इस तरह का स्वागत-मेला मैंने पहली बार देखा.

पहली बार तो हमने यह भी देखा कि कथा-कहानियों का नैरेशन करवाया जाता है. फलक मंच पर प्रवेश करते ही हमें इसका सुखद अनुभव हुआ. फलक मंच के एडमिन मंजीत ठाकुर सर हैं, मौसमी जी उनकी सहायिका हैं.

जितनी शिद्दत से मौसमी जी हर जिम्मेदारी को निभाती हैं, लाजवाब-बेमिसाल है.

मौसमी जी के बारे में कुछ विशेष बातें-
मौसमी जी की खनकती आवाज को एक बार सुन लेने पर उसकी गूंज ताउम्र रहती है.

हंसते-हंसते मौसमी जी का कहना है- “शौक बहुत बुरी चीज है.” इसके बारे में मौसमी जी स्पष्ट करती हैं, कि अत्यधिक शौक के चलते बाकी सब जिम्मेदारियों को पूरा करते-करते हम खुद को भूल जाते हैं. फिर घरवाले याद दिलाते हैं, कि अपनी सेहत का कुछ ख्याल करो. मौसमी जी हर शौक पालने वाले की यही गाथा है.

शौक के चलते ही मौसमी जी के साथ एक ऐसा समूह भी बन गया, जो कथा-कहानियों के बेहतरीन ऑडियो-वीडियो बनाते हैं.

मौसमी जी ने अपने संक्षिप्त परिचय में लिखा है-
“✓ सम्मान:खास नहीं बस कुछ साहित्यिक मंचों द्वारा सम्मानित हुई(लेखन संबंधित प्रतियोगिता)”
यह मौसमी जी की जर्रानवाजी है, अन्यथा उनके सम्मानों की सूची में जाएंगे, तो उस सूची का फलक ही बहुत विस्तृत होगा. अपने जीवन और लेखन के बारे में अन्य अनेक महत्वपूर्ण बातें मौसमी जी कामेंट्स में बताएंगी.

मौसमी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के संक्षिप्त परिचय के साथ मौसमी जी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए हम यहीं विराम लेते हैं. शेष आपके-हमारे द्वारा कामेंट्स में.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “लेखन की रवींद्रा: मौसमी चंद्रा

  • *लीला तिवानी

    मौसमी जी, जय विजय पर आपका हार्दिक स्वागत है. आपके बहुआयामी व्यक्तित्व को नमन करते हुए हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं.

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