कैसे दूँ बधाई
साल जन्म दिन आये जब भी, यादें बहुत सताती है।
चित्र देख कर पापा मेरी, आँखे नम हो जाती है।।
विद्यालय से वापस आते, राह ताँकती रहती थी।
जल्दी आओ पापा मेरे, फोन लगा कर कहती थी।।
कहाँ गया अब वो सारा दिन, यादें बहुत रुलाती है।
चित्र देख कर पापा मेरी, आँखे नम हो जाती है।।
केक सजा कर रखती थी मैं, मिलकर साथ मनायेंगे।
हाथ पकड़ कर काटेंगे हम, खुशियाँ भी फैलायेंगे।।
हँसने की आवाज आपकी, सुनने को तरसाती है।
चित्र देख कर पापा मेरी, आँखे नम हो जाती है।।
मिला प्यार जितना तुम से भी, दिल में मैं संजोती हूँ।
नयन बन्द कर मैं भी पापा, सपनों में भी रोती हूँ।।
साथ रहे जब बेटी पापा, घर में खुशियाँ लाती है।
चित्र देख कर पापा मेरी, आँखे नम हो जाती है।।
जन्म बधाई कैसे दूँ मैं, बैठे सोंचा करती हूँ।
नहीं दिखाई देते फिर भी, मन में आँहे भरती हूँ।।
जब-जब कविता लिखती हूँ मैं, याद तुम्हारी आती है।
चित्र देख कर पापा मेरी, आँखे नम हो जाती है।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”