चिंतन शिविर और पुनर्जन्म
पार्टी की दुर्गति होते देख और जनता के बीच दुबारा से पकड़ बनाने के लिए चिन्तन जरूरी था। इसे “चिंतन शिविर और पुनर्जन्म” का नाम दे, एक नामी रिजॉर्ट में सारी व्यवस्था करवाई गई।
चिन्तन पूरे तीन दिन तक चला।पार्टी के कट्टरपंथी युवराज ने पार्टी की दुर्दशा के लिए साम्रदायिक पार्टियों को खूब कोसा और यह निश्चित किया गया कि सरकार की हर अच्छी बुरी बात का विरोध किया जाएगा, देश में घुसे हुए आयातित अलगाववादियों और पत्थरबाजों के खिलाफ़ किसी भी तरह के जुल्म को नहीं सहा जाएगा। उनको हर तरह से सहायता दी जाएगी।
इस प्रकार पार्टी का चिन्तन शिविर सम्पन्न हुआ। पर यह क्या … न जाने क्यों, चिन्तन शिविर के खत्म होते ही पार्टी में इस्तीफों की बाढ़ आ गई।
कारण… कभी कभी जागरूक नेताओं में विचारों का भी पुनर्जन्म होता है।
अंजु गुप्ता “अक्षरा”