साहित्यकार महान
शब्दों के महाजाल का चक्रव्यूह बड़ा जंजाल
इसमें उलझ सुलझ बने तीखे शब्द विकार
लेखक है रोक ना पाए गहन जज़्बात कलाम
लिख देता दिल में होता जो यही गहन विज्ञान
कहां सोचता फल कि इच्छा यही उसका ज्ञान
हर मुद्दे पर कलम चला खींचे सबका ध्यान
जिसका ध्यान न हो उसे भी दिलाए ये संज्ञान
निकाले शब्द एसे-एसे चुभे जैसे तीर कमान।।
शब्द संजो कर प्रेम से करे श्रृंगार रसपान
शब्द संजोए द्वेष से जबब रौद्र रुप करे ना विश्राम
हर रुप , रस , रंग को संजोता साहित्यकार महान।।
— वीना आडवाणी तन्वी