गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अपनी धरती पर काम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
मेहनत का पूरा दाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
अपने गुलशन की शाखाओं पर फूलों के हों मैख़ाने,
खुशहाली वाला जाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
रोटी पानी बिजली सेहत भौतिक दैहिकता की सुविधा,
यदि सुबह दोपहरी शाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
वक़्त वक़्त की मर्यादा में ऊंचे नीचे घर के भीतर,
सुख सुविधा में आराम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
लिखित परीक्षा के पश्चात् सहृदय साक्षात्कार मुताबिक़,
पद नियुक्ति का पैग़ाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
श्री गणेश प्रिय दर्शन हों अभिनंदन हो गौरवान्वित सा,
पूर्णता को अंजाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
रिश्वत धोखा बेईमानी को मुमकिन कारावास मिले,
सर्वोत्तम को ईनाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
छोटे दीर्घ उत्पादन में अवश्य सामग्री निश्चित हो,
शिल्पी को यश का नाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
बालम, धर्मांतरण की क्रियाएं उत्पन्न हो ही नहीं सकतीं,
‘भारत एक जाति’ नाम मिले तो क्यों जाएंगें बाहर लोग।
— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409