लघुकथा

पड़ोसी ऐसे भी

“आपने देखा सौरभ? हमारे पड़ोसी हमसे लगी अपनी दीवार में जो कुछ थोड़ी सी जगह बची हुई है उसी में हमारे गेट से चिपकाकर गेट लगाने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि पूर्व दिशा में उनका बड़ा सा गेट है। वैसे भी पश्चिम तरफ सड़क जब यहीं खत्म हो जाती है, तो एक छोटा सा गेट निकालकर क्या फायदा होगा?” निकिता हैरान थी।

“याद है आपको? इसी पश्चिमी सड़क की लिए भराई के लिये जब सहयोग माँगा था तो टका सा जवाब मिला था, ‘मुझे पिछली सड़क से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने पूर्वी सड़क को भरने में सहयोग दे दिया है, मैं उसी का उपयोग करूँगा।’

और जब रास्ता भरवा कर मैंने वन विभाग से पेड़-पौधों को लगवाकर सालों में बड़ा किया है, तो अब गेट लगाना है! ये पेड़ कटे तो मेरे प्राण यूँ ही निकल जाएँगे।”

“प्रयास कर लो, कोर्ट कचहरी, मजिस्ट्रेट, पुलिस! पर बता रहा हूँ होगा कुछ नहीं। जानती हो न, समाचार पत्रों एवं मीडिया द्वारा हमारा प्रदेश अपने राज्य में, हमारा राज्य देश में और देश इस महादेश में सबसे ज्यादा भ्रष्ट बताया गया है। सच भी है, प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी पैसे लेने वाली स्थानीय पुलिस हिलती डुलती आएगी और कुछ लेकर थाने लौट जाएगी। मामला वही ढाक के तीन पात।

इस काम को शुरू करने के पहले उन्होंने वकील से भी सलाह मशविरा किया होगा और उन्होंने कानूनी पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें कोई न कोई उपाय बता दिया होगा जिससे उनका काम अंजाम तक पहुँच सके। गेट लगने से वन विभाग भी इन्हें पेड़ काटने की अनुमति दे ही देगा क्योंकि पहला पेड़ उनके गेट के सामने आ जाएगा। ऐसा ही कुछ सोच रखा होगा।

आपत्ति दर्ज करोगी तो कहेंगे, ‘सड़क बनाने में हमने जितनी भी मिट्टी का इस्तेमाल किया है वह हमारी हो सकती है, पर सड़क की ढलाई सरकारी अनुदान से हुई है।’ अतः पश्चिम का रास्ता इस्तेमाल करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। भराई के खर्चे की बात करोगी तो कहेंगे, ‘बाद में दे दूँगा।’ पर वह दिन कभी नहीं आयेगा। बहस हुई तो कहेंगे, ‘मिट्टी खुदवा कर ले जाइए, हम नई मिट्टी डलवा कर सड़क निर्माण कर लेंगे।’ पूछ सकती हो, ‘अब तक क्यों नहीं किया?’ उसका भी कोई न कोई उत्तर उनके पास तैयार होगा।

ये सालों से सड़क की ढलाई का इंतजार कर रहे थे, ताकि बिना किसी खर्च के पश्चिमी दिशा में गेट लगा सकें। अब अन्य पड़ोसियों को भी इस हरकत के लिए उकसाएँगे। हम अकेले कब तक और कितनों का विरोध करेंगे। रोकने की कोशिश करते ही नया पैंतरा इस्तेमाल करेंगे। सालों से देख रहा हूँ, जानता हूँ इनको।”

— नीना सिन्हा

नीना सिन्हा

जन्मतिथि : 29 अप्रैल जन्मस्थान : पटना, बिहार शिक्षा- पटना साइंस कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर। साहित्य संबंधित-पिछले दो वर्षों से देश के समाचार पत्रों एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लघुकथायें अनवरत प्रकाशित, जैसे वीणा, कथाबिंब, सोच-विचार पत्रिका, विश्व गाथा पत्रिका- गुजरात, पुरवाई-यूके , प्रणाम पर्यटन, साहित्यांजलि प्रभा- प्रयागराज, डिप्रेस्ड एक्सप्रेस-मथुरा, सुरभि सलोनी- मुंबई, अरण्य वाणी-पलामू,झारखंड, ,आलोक पर्व, सच की दस्तक, प्रखर गूँज साहित्य नामा, संगिनी- गुजरात, समयानुकूल-उत्तर प्रदेश, शबरी - तमिलनाडु, भाग्य दर्पण- लखीमपुर खीरी, मुस्कान पत्रिका- मुंबई, पंखुरी- उत्तराखंड, नव साहित्य त्रिवेणी- कोलकाता, हिंदी अब्राड, हम हिंदुस्तानी-यूएसए, मधुरिमा, रूपायन, साहित्यिक पुनर्नवा भोपाल, पंजाब केसरी, राजस्थान पत्रिका, डेली हिंदी मिलाप-हैदराबाद, हरिभूमि-रोहतक, दैनिक भास्कर-सतना, दैनिक जनवाणी- मेरठ, साहित्य सांदीपनि- उज्जैन ,इत्यादि। वर्तमान पता: श्री अशोक कुमार, ई-3/101, अक्षरा स्विस कोर्ट 105-106, नबलिया पारा रोड बारिशा, कोलकाता - 700008 पश्चिम बंगाल ई-मेल : [email protected] व्हाट्सएप नंबर : 6290273367