लघुकथा – पापा
पिता तथा पुत्र भोजन बाले टेबल पर बैठे रात्रि भोज कर रहे थे। दोनों आपस में कई तरह की बातें कर रहे थे। पुत्र कह रहा था, ‘‘ पापा, कोई और बढिय़ा सी बात सुनाएं।’’ पिता भोजन खाने के साथ-साथ उस को हल्के फु ल्के हास्य-ठिठोली वाले चुटकले भी सुना रहा था। भोजन खाने के पश्चात अचानक ही पुत्र ने प्रसन्न चित मुद्रा में कहा, पापा जब मैं अठारह (18) वर्ष का हो जाऊंगा, फि र मैं कार चला सकता हूँ। फिर मैं ड्राईविंग का रिटन टैस्ट कलियर करके, ड्राईविंग टैस्ट दे दूंगा। पापा जब मैं अठारह का हो जाऊंगा, आप मुझे मेरे जन्म दिन पर क्या गिफट दोगे? पिता ने निम्रता पूर्वक सहज भाव से कहा, बेटे जब तुम अठारह वर्ष के हो जाओगे, फि र देखेंगे, कौन सी गिफट देनी है। परन्तु पापा आप मेरी मन पसंद की, कोई खूबसूरत सी, कोई बड़ी गिफट दोगे ना।
हां, पुत्र बहुत बड़ी, खूबसूरत गिफट देंगे पुत्र।
पुत्र आंतरात्मा से खुश हो गया। एक जिज्ञासा की लालसा उसके दिल-दिमाग में तैरने लगी। समय कुलांचे भरता जिंदगी के साथ साथ चलता गया।
पुत्र अब लगभग अठारह वर्ष का होने वाला था। कुछ दिनों के पश्चात उसका जन्म दिन मनाया जाएगा। परन्तु अचानक ही पुत्र को हार्ट अटैक हो गया। उसको तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया। सारा परिवार शोकावस्था में। रिश्तेदार, यार, दोस्त, सनेही, पड़ोस, सब उसकी सेहतयाबी-तंदरूस्ती के लिए परमात्मा के आगे बिनती-कामना करने लगे।
डाकटरों ने गंभीरता से चिंता जितलाते हुए कुछ कीमती गंभीर प्रस्ताव सुझाव भी रखे, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया। पुत्र का आप्रेशन कामयाब हो गया। उसका हृदय बदल दिया गया। नयां हृदय डाल दिया गया। कुछ दिनों के पश्चात उसका जन्म दिन था। पुत्र तंदरूस्त हो कर ठीक ठाक घर आ गया था। पुत्र ने घर आते ही अपनी मां से जिज्ञासा तथा एक ललक के साथ पूछा, मम्मी, पापा कहां हैं? तब मां ने संयम-संतोष में रहते हुए एक कागज उसके हाथों में थमा दिया।
पुत्र आश्चर्यजनक मुद्रा में उस को पढऩे लगा। उसमें लिखा था, मेरे प्यारे लाढले पुत्र, मेरी जान, तू ही हमारा स्वर्ग है, जिंदजान है, हमारी पीढिय़ों का अस्तित्व है तू, तुम धैर्य नहीं खोना, हौसला रखना है, प्रभु पर भरोसा रखना है। यह सब किस्मतों का खेल है बेटे, यह जीवन। अपने मन को मजबूती से संभाल लेना। अपनी मां तथा बहन का ख्याल रखना, उन को तसल्ली देना मेरे प्यारे बेटे, जिंदगी में खूब तरक्की करना। मुझे उम्मीद है तू सारे परिवार का नाम रौशन करेगा। पुत्र मेरे प्यारे बेटे तू कहता था ना, पापा मेरे जन्म दिन पर एक खूबसूरत बड़ी गिफट दोगे, तो वह फ र्ज़ आज मैने पूरा कर दिया है, युग-युग जीयो मेरे लाल, मेरा प्यारा लाडला पुत्र, एक सपना बन चुके, तेरे पापा।
— बलविन्द्र ‘बालम’
बहुत ही मार्मिक .