उस रोज जो मैं जिंदगी से मिली
उस रोज मैं जो जिंदगी से मिली
देखकर मुझे थोड़ी हंसते हुए मिली
पूरे उम्र तो तुमने परिवार में ही निकाल दी
अपने लिए थोड़ा सा समय ही निकालती
सारा जीवन दूसरों की भलाई
करती हो
फिर भी सबके तानें और उलाहने सुनती हो
परिवार कहता क्या किया तुमने हमारे लिए
ये तो तुम्हारा कर्तव्य और फर्ज था हमारे लिए
तुमने तो सब जीवन इनको दे दिया
समय न बचा मेरे पास अपने लिए कुछ करने का
अब जीवन बचा थोड़ा कुछ अच्छे कर्म करूँ
संसार से सब शोषित लोगों के लिए कुछ काम करूँ
अनपढ़ लोगों को साक्षर बनाकर अधिकार दिलवाऊं
नारियों को उनके अत्याचारों की रोक थाम करवाऊँ
कुछ मानव सेवा करके अपने जीवन को धन्य बनाऊं
प्रभु ने दिया मानव जीवन इसका मोल चुकाऊँ
— पूनम गुप्ता