टीम भावना
कौआ एक बड़ा प्यासा था,
पानी मिलने की ले आस,
इधर उड़ा फिर उधर उड़ा वह,
पहुंचा हैंड पंप के पास.
कैसे पानी पिऊं मैं प्यासा,
चाँपाकल को कौन चलाय?
हाथ नहीं मैं चाँपूं कैसे,
चहुं ओर रहा नजर दौड़ाय.
कहा एक चिड़ी ने उसको,
“मत हताश हो कौए भाई,
हम सब तेरी मदद करेंगी”,
चिड़ियों को उसने टेर लगाई.
सब मिल बैठीं चाँपाकल पे,
बहने लगी थी जल की धार,
प्यास बुझाकर बोला कौआ,
“धन्य हो तुम औ तुम्हारा प्यार.”
फोटो खींच रहा जो बच्चा,
बोला सचमुच प्यार तुम्हारा सच्चा,
टीम भावना हमें सिखाई,
नमन करे यह छोटा बच्चा.