बाल कविता

टीम भावना

कौआ एक बड़ा प्यासा था,
पानी मिलने की ले आस,
इधर उड़ा फिर उधर उड़ा वह,
पहुंचा हैंड पंप के पास.
कैसे पानी पिऊं मैं प्यासा,
चाँपाकल को कौन चलाय?
हाथ नहीं मैं चाँपूं कैसे,
चहुं ओर रहा नजर दौड़ाय.
कहा एक चिड़ी ने उसको,
“मत हताश हो कौए भाई,
हम सब तेरी मदद करेंगी”,
चिड़ियों को उसने टेर लगाई.
सब मिल बैठीं चाँपाकल पे,
बहने लगी थी जल की धार,
प्यास बुझाकर बोला कौआ,
“धन्य हो तुम औ तुम्हारा प्यार.”
फोटो खींच रहा जो बच्चा,
बोला सचमुच प्यार तुम्हारा सच्चा,
टीम भावना हमें सिखाई,
नमन करे यह छोटा बच्चा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244