गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

गलतियों गुस्ताखियों का शहर है।
बहुत ऊंची हस्तियों का शहर है।
खूबसूरत फूल खिलते हैं यहां,
रंग बिरंगी तितलियों का शहर है।
जल रही शम्मां किसी के प्यार में,
यह पतंगों मस्तियों का शहर है।
खूबसूरत बच्चों की हैं टोलियां,
खिल रही किलकारियों का शहर है।
क़त्ल,डाके, चोरियां, बदमाशियां,
पत्रिका में सुर्खियों का शहर है।
शाम को सूरज ढला है इस तरह,
झील भीतर किश्तियों का शहर है।
जिस्म के उपर पसीनें दमकते,
कर्मयोगी किरतियों का शहर है।
रिश्वतों का नाच नंगा होता है,
कचहरियों पटवारियों का शहर है।
कौन वादा कर के वापस लौटा ना,
शाम भीतर सिसकियों का शहर है।
उस के दिल तक किस तरह मैं पहुंचता,
उस नज़र में पानियों का शहर है।
बालमा,तामीज़ में हर चीज़ है,
बहन, बेटी, नारियों का शहर है।
— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409