आओ अग्निवीर बन जाएँ
आओ अग्निवीर बन जाएँ,
भारत माँ का भार उतारें।
ढूँढ़ – ढूँढ़ दुश्मन को लाएँ,
गिन – गिन कर नित उन्हें सिधारें।।
जननी का जो दूध पिया है,
उसको नहीं लजाना हमको।
दो जीभों का नाग जिया है,
नहीं छोड़ना पल भर उसको।।
नहीं तिरंगा झुकने देंगे,
न हो अपावन गंगा – धारा।
शपथ गाय गीता की लेंगे,
तब होगा प्रण पूर्ण हमारा।।
सरहद के भीतर बाहर जो,
काँटे उगे विषैले भारी।
खरपतवार मिटाने हमको,
कम न पड़ेंगीं बाला – नारी।।
बच्चा – बच्चा वीर बनेगा,
भारत माँ की लाज बचाएँ।
‘शुभम्’ न कोई शीश धुनेगा,
आर्यावर्ती हम बन जाएँ ।।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्’