स्वतंत्रता दिवस पर ऑस्ट्रेलिया में साहित्य-संध्या की काव्य-गोष्ठी
भारत के 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर 20 जुलाई को भारत के प्रधान कोनसुलावास, हिंदी शिक्षा संघ के साथ साहित्य संध्या, मेलबर्न द्वारा ऑनलाइन ‘भारत-प्रेम’ काव्य-गोष्ठी का मेलबर्न से आयोजन किया गया। इस अवसर पर कोसलाधीश डॉ. सुशील कुमार का रिकार्ड किया हुआ संदेश सुनाया गया जिसके माध्यम से उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ निदेशक, ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ का विशेष रूप से स्वागत किया तथा श्रोताओं और सभी कवियों का कोंसालावास की और से स्वागत किया। कार्यक्रम में उपस्थित भारत के कोंसुल श्री शिव कुमार ने अतिथियों व कवियों को प्रधान काउंसुलवास की ओर से शुभकामनाएँ दीं। काव्य-संध्या के संयोजक एवं अध्यक्ष ‘हिंदी शिक्षा संघ’, डॉ. सुभाष शर्मा ने मुख्य अतिथि तथा उपस्थित लोगों का स्वागत किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ एस.बी.एस हिंदी रेडियो ऑस्ट्रेलिया की उद्घोषक श्रीमती अनीता ब्रार की कविता ‘दोस्त’ के कविता-पाठ से हुआ। वेदों-पुराणों की विदुषी डॉ. मृदुल कीर्ति, जिन्होंने अनेकों ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया है उन्होंने देश-प्रेम की कविता का पाठ किया। प्रमुख कवियों में सुमन जैन, मंजुला ठाकुर ने भगवान कृष्ण के बाल रूप पर कविताएँ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। डॉ. उर्मिला मिश्रा तथा सुमन जैन ने देश-प्रेम से प्रेरित कविताओं का पाठ किया। साहित्य-संध्या के वरिष्ठ कवि राजेंद्र चोपड़ा तथा हरिहर झा ने भारत और राष्ट्र-प्रेम से ओतप्रोत कविताओं से श्रोताओं को जोड़ा। कवयित्री संध्या नायर ने ‘दुनिया क्या है?’ नामक भावुकता से ओतप्रोत अपनी कविता में अपना साहित्यिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
बाबू परदेसी ने कविता ‘सबको शहर जाना है’ को सुंदर ढंग से प्रस्तुत प्रस्तुत किया। मेलबर्न के जाने माने शायर महेश जानिब ने अपनी शायरी और गजलों के माध्यम से जीवन के विरोधाभास पर व्यंग्य प्रस्तुत किया। श्री विनोद कुमार जैन ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की। काव्य-गोष्ठी के अंतिम चरण में संचालक सुभाष शर्मा ने मुख्य अतिथि डॉ मोतीलाल गुप्ता ,”आदित्य” का औपचारिक परिचय दिया तथा उन्हें रचना-पाठ करने के लिए आमंत्रित किया। डॉ. गुप्ता ने देश-प्रेम से ओतप्रोत एक कविता तथा एक गीत प्रस्तुत किया, जिसमें भारत को इंडिया न कहने का आह्वान किया गया था।
मुख्य अतिथि डॉ. मोतीलाल गुप्ता ने भारत के कोंसलाधीश से अनुरोध किया कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र की संध्या पर हर वर्ष कोंसालावास में देश-प्रेम के कवि-सम्मेलन का आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी कवियों और श्रोताओं का आह्वान किया कि वे भारत की संस्कृति व ज्ञान – विज्ञान को बडाने व बढ़ाने हेतु हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए हर संभव प्रयास करें और उनकी संस्था ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के साथ मिलकर भी जुड़ें। उन्होंने भारत के संविधान से ‘इंडिया’ नाम हटाने के लिए सहयोग की अपेक्षा भी की।
इस अवसर पर ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ संस्था के अध्यक्ष श्री सुंदर बोथरा ने भी मेलबर्न साहित्य संध्या के कार्य की सराहना की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बसे भारतीय मूल के लोगों से ‘भारत’ को इंडिया के बजाय’ भारत’ कहने और अभियान से जुड़ने का अनुरोध किया। संस्था के महासचिव कृष्ण कुमार नरेडा ने भी मेलबर्न के हिंदी प्रेमियों के देशप्रेम और हिंदी-प्रेम की सराहना की। चंद्रमणि पांडेय जी ने साहित्य संध्या के सफल आयोजन की सराहना की साथ ही वास्तविक हिंदी सम्मेलन के साथ मिलकर ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।
अंत में संचालक ईवीएम साहित्य संध्या के संयोजक डॉ. सुभाष शर्मा ने सामयिक कविता ‘तिरंगा लहर लहर लहराए’ सुना कर वातावरण को स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंग दिया। अंत में संचालक ने सभी श्रोताओं, कवियों और विशेष रूप से मुख्य अतिथि को धन्यवाद देकर भारत प्रेम नामक काव्य गोष्ठी के संपन्न होने की घोषणा की।