नेता जो कुछ भी कहते हैं, वह राजनीतिक जमा, घटा या गुणा करके ही कहते या करते हैं। आए दिन कांग्रेस सहित विपक्षी नेता घुमा – फिरा कर हिंदू घर्म पर ही हमले करते दिखते हैं। इनके द्वारा बाकी किसी धर्म पर ऐसे हमले शायद ही कभी हुए हों। चिदंबरम ने फिर एक बार हिंदुओं […]
Author: डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'
भारत नाम और भारतीय भाषाओं के लिए जंतर-मंतर पर हुंकार !
‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ और ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा भारत के नाम और भारतीय भाषाओं से संबंधित विषयों पर देश के विभिन्न प्रदेशों हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं से संबंधित पचासी सामाजिक साहित्यिक भाषा व अन्य व्यवस्थाओं से जुड़ी संस्थाओं के समर्थन एवं सहयोग से एक दिवसीय जागृति अभियान एवं धरने का आयोजन किया गया। […]
भारत नाम और भारतीय भाषाओं को लेकर सत्याग्रह
‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ और ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा 25 सितंबर 2022 रविवार को राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर-मंतर, नई दिल्ली पर निम्नलिखित मांगों को लेकर एक दिवसीय सत्याग्रह व राष्ट्रीय धरने का आयोजन किया गया है। इस आयोजन में भारतीय भाषाओं के साथ-साथ भारत की विभिन्न सामाजिक – धार्मिक व विभिन्न व्यावसायों आदि से जुड़ी […]
स्वतंत्रता दिवस पर ऑस्ट्रेलिया में साहित्य-संध्या की काव्य-गोष्ठी
भारत के 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर 20 जुलाई को भारत के प्रधान कोनसुलावास, हिंदी शिक्षा संघ के साथ साहित्य संध्या, मेलबर्न द्वारा ऑनलाइन ‘भारत-प्रेम’ काव्य-गोष्ठी का मेलबर्न से आयोजन किया गया। इस अवसर पर कोसलाधीश डॉ. सुशील कुमार का रिकार्ड किया हुआ संदेश सुनाया गया जिसके माध्यम से उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ. मोतीलाल गुप्ता […]
अग्निवीर या अंग्रेजीवीर ?
पिछले दिनों सेना में जवानों की भर्ती संबंधी भारत सरकार की अग्निवीर योजना पर खासा बवाल हुआ। अधिकांश विपक्षी दलों ने इसका जमकर विरोध किया और कई राज्यों में कई दिनों तक हिंसक घटनाओं में देश जलता रहा। लेकिन इसके बावजूद ज्यादातर देशवासियों ने इसका मुखर या मौन समर्थन ही किया। जिन लोगों को इस […]
जनभाषा में न्याय की गूँज
विश्व के स्वाधीन व लोकतांत्रिक देशों में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहाँ के उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में वहाँ की भाषा में न्याय न मिलता हो। अगर भारत का इतिहास उठाकर देखें तो शायद ही कोई ऐसा समय रहा होगा जब देश में या किसी प्रदेश में लोगों को अपनी भाषा में […]
एक भारत भाषा सेनानी : हरपाल सिंह राणा
जनभाषा में न्याय के लिए न्यायपालिका से ही न्याय की जंग हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस तो मनाते हैं लेकिन बिना स्वभाषा के स्व तंत्र कैसे हो सकता है और बिना स्व तंत्र के देश सही अर्थों में स्वतंत्र कैसे हो सकता है ? भारत की भाषा हिंदी, जिसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों […]
मराठी को लेकर महाराष्ट्र सरकार का सराहनीय निर्णय
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि महाराष्ट्र में तमाम दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के नाम अनिवार्यत: मराठी भाषा में देवनागरी लिपि में ही होंगे। पहले भी इस प्रकार का आदेश था लेकिन अब इसे पूरी गंभीरता से लागू करने का निर्णय लिया गया है। निश्चय ही अपनी जनता के […]
स्मृति-चलचित्र : सेवा-निवृत होते कार्मिक की अनुभूति
जो व्यक्ति सेवा निवृत्त नहीं हुआ हो, सेवा निवृत्ति से पूर्व वह शायद यह अनुभूति न कर सके। कहा जाता है कि भावनाएँ वैयक्तिक होते हुए भी सार्वभौमिक होती हैं। व्यक्तिगत भिन्नताओं के बावजूद भी काफी हद तक हम एक जैसी अनुभूतियों से गुजरते हैं। यूं तो ये अनुभूतियाँ मेरी व्यक्तिगत हैं। लेकिन अगर किसी […]
हिंदी के टुकड़े-टुकड़े करने की कोशिशें और राष्ट्रहित
पिछले कुछ समय से हिंदी की बोलियों के नाम पर गठित संस्थाओं द्वारा संविधान की अष्टम अनुसूची में हिंदी की बोलियों को जोड़ने की मांग रह रह कर उठने लगती है। हिंदी का कुछ बोलियों को संविधान की अष्टम अनुसूची में स्थान मिलने के बाद तो होड़ सी लग गई है। बोलियों के स्वयंभू प्रतिनिधियों […]