जब मुहब्बत में दिल ये खसारा हो गया ,
दुनियावी हर खुशी से ही किनारा हो गया…
हँसने न पाये खुलकर , न रोए हम यहाँ
सय्याद जैसा दिल भी अब हमारा हो गया…
राहों में दिल के सामने आये थे वो मंजर
ये देख कर के आखिर बेचारा हो गया….
समझे थे जिसको अपने दामन का चाँद हम
वो टूटकर किसी और का सितारा हो गया….
उसकी तरफ से कोशिशें,… बेकार ही रहीं
तकदीर का लिक्खा ही बस गवारा हो गया….
— सीमा शर्मा ‘सरोज’