कविता

कविता – आतंक का चमन

ओ रब तुँने कैसा चमन लगाया
आतंक के फूलों से उसे सजाया
मारकाट का गुलदस्ता भेजवाया
मानवता में पतझड़ क्यों बुलाया

ओ रब तुँने कैसा खेल खेलाया
मानव को मानव से लड़वाया
अशांति की खुशबू से महकाया
इन्सानियत की कड़ी तुड़वाया

ओ रब तुँने कैसा विसात सजाया
एक दुजै से दुश्मनी है करवाया
पड़ोसी को भी बैरी बनवाया
कौन सी ये चाल है चलवाया

ओ रब तुँने कैसा पाठशाला चलाया
अमन चैन से बैरी का पाठ  पढ़ाया
लुट खसोंट का सबक सिखलाया
झूठे ख्वाब का हवा महल दिखाया

ओ रब कैसा बेशर्म मानव को बनाया
नारी पर अत्याचार का ठीका दिलाया
बलात्कार को उद्योग है बनवाया
जग में वहशी  को पानी खाद दिलाया

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088