नहीं चलने वाला ये मुल्क अब किसी के अहसान से
धागे बांधकर तुम जैसे तैयार सुत करो।
मुल्क की नीव उस तरह मजबूत करो
ऐसे दिखावे से कुछ नहीं होने वाला है।
मुल्क की तरक्की में संयोग बहुत करो
*तोगड़िया जी के उन बयान से
बुखारी जी के फतवे ज़बान से
नहीं चलने वाला ये मुल्क ….
अब किसी के अहसान से…
मुझे अपने मुल्क से चाहत है
मुझे मुल्क में ना घबराहत है
जो ओर मुल्कों में नहीं है बात
वो मेरे हिन्दुस्थान में बात है.
*ये मुल्क एक अच्छे इंसान से ….
हर धर्म की सदा गूंजे हिन्दुस्थान से
नहीं चलने वाला ये मुल्क ……………
अब किसी के अहसान से………
यह मुल्क अमन चैन सुकून का .
यह हिन्दू मुस्लिमो के खून का …
यह कबीर दास के दोहों का ……
यह बिस्मिल्लाह खां की धुन का
*यह मुल्क चलता है जवान से
यह मुल्क चलता है किसान से
नहीं चलने वाला ये मुल्क …….
अब किसी के अहसान से….
मेरी नमाजो की दुआओ में भी मुल्क है!
मेरी इन दढ़कती सांसों में भी मुल्क है..
मुल्क के नाम पर इस “खालिद” की
गर्दन भी काट दो यह भी कबूल है…..
* ना हिन्दू ना किसी मुसलमान से
ना बुज़ुर्ग ना किसी जवान से….
नहीं चलने वाला ये मुल्क ………..
अब किसी के अहसान से….