गीत/नवगीत

सफ़र और पैसा

ट्रेन का सफ़र और यह रात
तन्हा मैं और दोस्त एक साथ
एक अजब खुशी है दिल में है
के हो जाए कामयाब तिजारत
यह सफ़र जिंदगी में हमेशा रहे
बस हमारी जिंदगी में पैसा रहे
मुकम्मल कहां है यार यह जिंदगी
किसी गनी शख्स  के यहां बंदगी
तोड़ो  गुलामी की  बेकार जंजीरें
मुलाजिमत  लगती है  यह गंदगी
अब यह इंसान चाहे जैसा रहे
बस हमारी जिंदगी में पैसा रहे
जो रहबर  लहू के शौकीन हैं।
आवाम को इन पर यकीन है।
अपनी ये कौम साहिल पर है।
आप इस दौर में मुतमहीन है।
जब दुश्मनों का तुझे अंदेशा रहे,
बस हमारी जिंदगी में पैसा रहे।
नौकरियों में अब सुकून नही है।
जिंदगी इतनी भी रंगीन नही है।
शौक, दौलत  सब तो नसीब है।
वो कहते हैं तुझमें जुनून नही है।
लोग कहे अब बताओ कैसा रहे ,
बस हमारी  जिंदगी में पैसा रहे।
— खालिद खान इमरानी 

खालिद खान इमरानी

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