अंधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल।
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है,
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल।
कहने को तो कह लेते हैं अपनी बात सबसे हम,
जुबां से दिल की बातों को है कह पाना बहुत मुश्किल।
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढ़ता,
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल।
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ हैं,
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल।
— मदन मोहन सक्सेना