कविता

खुला आफर

अभी अभी यमराज का
नया आफर आया,
आफर सुन मेरा सिर चकराना,
यमराज पर गुस्सा खूब आया
मैं भला चुप कहाँ रहने वाला
मैंने तुरंत हाटलाइन से काल लगाया,
मेरा नाम देख पहले तो
यमराज बड़ा कसमसाया
फिर बड़ी हिम्मत कर फोन उठाया
बड़े सम्मान से प्रणाम किया,
फिर फोन का कारण पूछा
तुम्हारे आफर का  सच क्या है
या महज अफवाह है,
मैंने बिना लाग लपेट बोल दिया।
ओह! तो खबर आप तक भी पहुंच ही गई,
मेरे प्रभु! आफर सोलह आने है सही,
अवसर का लाभ उठाइए
अपने इष्ट मित्रों को भी बताइए,
आपको हम लीडर बना देंगे
जो मरने को तैयार होंगे
उनके नेतृत्व का भार आपको सौंप देंगे।
आपका तो भौकाल बन जायेगा
वैसे भी पितृपक्ष में जो मरेगा
बिना हील हुज्जत के मोक्ष पा जाएगा।
बस! आप ज्यादा सोच विचार न करो
मौका ए दस्तूर का लाभ उठा लो।
बहुत जी लिया,अब जीकर क्या करोगे,
मरना तो है फिर अभी मर जाओ
पितृपक्ष में मरकर मोक्ष का सुख पाओ,
क्या पता बाद में मरने पर मोक्ष मिले या नहीं
इसलिए आफर का भरपूर लाभ उठाओ।
हर ओर श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण हो ही रहा है
तुम्हारा नाम भी इसी में जुड़ जायेगा
नहीं भी जुड़ा तो डर कैसा
इधर उधर से भी तुम्हारा काम चल जाएगा,
बस पितृपक्ष में मर जाओ सरकार
मोक्षद्वार तुम्हारे लिए जरुर खुल जायेगा,
जो भी इस आफर का लाभ उठाना चाहेगा
विश्वास करो वो मोक्ष मार्ग से ही चलकर
सीधे मोक्ष पायेगा, तर जायेगा
जीवन मरण के लफड़े से मुक्त हो जाएगा
मेरा आफर सफल हो जाएगा,
मेरा भी थोड़ा भाव बढ़ जायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921