गज़ल
बस कुछ कर गुज़रना चाहता हूँ
ज़माने को बदलना चाहता हूँ
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जहां को रोशनी देने की खातिर
बनके शम्स जलना चाहता हूँ
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ठहर जाने का मतलब मौत ही है
मैं सारी उम्र चलना चाहता हूँ
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रगों में दौड़ते जोश-ओ-जुनूं से
नया इतिहास लिखना चाहता हूँ
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मरकर भी मैं अपने दोस्तों के
दिलों में ज़िंदा रहना चाहता हूँ
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लफ्ज़ हो जाते हैं सारे कहीं गुम
जब कोई शेर लिखना चाहता हूँ
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।