आये हैं तो जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है |
कर्ज लिया तो चुकाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
छाँव से लेकर धूप तलक कब कोई साथ निभाता है |
बिछुड़न का भी जमाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
बिना रुके यह सूरज जो दिन भर चलता रहता है |
शाम ढले ढल जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
दामन में ले बिजली –बारिश यह जो बादल उड़ते हैं |
बरस –बरस मिट जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
मोह –ममता की इस दुनिया में यह जो दौलत जोड़ी है |
छोड़ इसे यहीं जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
रंग –बिरंगी पंखुडियां जो फूल देख इठलाता है |
इक दिन तो मुरझाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
आज नहीं तो कल ही सही यह ठगी –चोरी जो करते हो |
इसका हिसाब चुकाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
जीवन के हर पल बंदे जो कर्मों की गठरी बाँधी है |
इसे उठाकर जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
सदा सियासत नहीं चलती है अंधियारी काली रातों की |
इक दिन सुबह का आना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
धूप –छाँव का खेल जहां में निशि दिन चलता रहता है |
इस खेल में साथ निभाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
देख –देख कर मत रो मनवा पतझड़ के सूखे मौसम को |
बहारों का भी जमाना होगा यह भी जीवन का इक सच है ||
— अशोक दर्द