गीतिका/ग़ज़ल

जलाएं दीप सब मन में

अँधेरे    में  उजाला  कर  ,जलाएं   दीप   सब   मन  में
कि रोशन हों सभी के मन,ना नफ़रत हो किसी  मन में
चलें   सब  नेक   रस्ते  पर , करे  ना  कुछ  बुरा   कोई
बुराई  को   ख़त्म  करने का, जज्बा  आये सब मन में
बड़े-बूढ़े   जो   शिक्षा  दें,तो  उस  पर चल के  हम देखें
रखें ध्यान उनका  ,जिस ने पाला  हम  को बचपन में
करें  सम्मान  उनका  और   सेवा   कर    फलें -फूलें
सदा  खुश  होक    नाचें,गायें  कूदें  जैसे  मधुवन में
ना मरने  की हो परवाह ,देश पर  आये  अगर संकट
हथेली  पर  लिए  हम  जान,लड़ने जाएँ सब राण में

— डा. केवलकृष्ण पाठक

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481