जलाएं दीप सब मन में
अँधेरे में उजाला कर ,जलाएं दीप सब मन में
कि रोशन हों सभी के मन,ना नफ़रत हो किसी मन में
चलें सब नेक रस्ते पर , करे ना कुछ बुरा कोई
बुराई को ख़त्म करने का, जज्बा आये सब मन में
बड़े-बूढ़े जो शिक्षा दें,तो उस पर चल के हम देखें
रखें ध्यान उनका ,जिस ने पाला हम को बचपन में
करें सम्मान उनका और सेवा कर फलें -फूलें
सदा खुश होक नाचें,गायें कूदें जैसे मधुवन में
ना मरने की हो परवाह ,देश पर आये अगर संकट
हथेली पर लिए हम जान,लड़ने जाएँ सब राण में
— डा. केवलकृष्ण पाठक