पुराने खंडहर
काल के अट्टहास के प्रतीक
या शाश्वत रुपी सत्य का बोध कराते
पुराने खंडहर …………………..
स्वयं में समेटे हुए अनगिनत कहानियाँ
झूठ, सत्य,प्रेम, कुकृत्य …
ना जानें कितनी निशानियाँ
काल के दंश से …
प्रकृति के अंश से …
दिखाते कि सबका अंत है सुनिश्चित
बताते कि कुछ भूलों के लिए ….
पीढ़ियाँ तक करतीं है प्राश्चित ……
जताते कि कुछ भी सदा के लिए नहीं
न सुख, न दुःख ..ना जीवन, ना बंधन
व्यर्थ है सब चिंतन ….
बस कर्म ही है जीवन का सच …..
इतिहास के कपाल पर लिख जाते हैं जो वीर
जो काल को भी चिड़ाते है मुँह….
जो समय को करते है अधीर ………….
किसी दिन सबसे ऊँची प्राचीर ….
भी हो जायेगी ध्वस्त ………….
फिर भी याद रक्खे जायेंगे पुराने खंडहर …
उनमे रहने वालों के नाम से,
किसी दिन कभी ना डूबने वाला सूर्य
भी हो जायेगा अस्त…………..
फिर भी गर्व से तन जायेंगे पुराने खंडहर …
उनमें जन्मीं वीर गाथाओं से …..
गर्व से तन जायेंगे पुराने खंडहर …
जीवित जो जायेंगे पुराने खंडहर …
जब कोई होगा उनके समक्ष नतमस्तक
मान कर उन्हें वीरों की धरोघर….
तब वो होंगे पूज्य…उन कई महलों से …
जहाँ पर रोज मरती आत्मा…..
जहाँ पर रोज मरती आत्मा…..
अभिवृत | कर्णावती | गुजरात
अच्छी कविता. खंडहरों से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.
हार्दिक आभार विजय जी …हम हर चीज से कुछ ना कुछ सीख सकते हैं
बहुत अछे विचार हैं , मैं इतहास पड़ने का बहुत शौक रखता हूँ और पुराने खंडरों को देखने भी बहुत शौक रखता हूँ और यह खान्दर देखते देखते उस समय में खो जाता हूँ . जब haimpi ruins मैंने देखे जो कभी विजय नगर कहलाता था तो मेरा मन रो पड़ा कि इतने अछे मंदिर और महल हमलावरों ने बर्बाद कर दिए , सिर्फ इस लिए कि उनका धर्म इलाग्ग था. मैं उस समय को अपनी आँखों में महसूस करने लगा . पता नहीं यह खान्दर कितनी कहानिआ छुपाए बैठे हैं .
भाई साहब, मुझे भी खंडहरों में घूमने का बहुत शौक है. जब मैं वाराणसी में था तो सारनाथ के खंडहरों में बहुत घूमता था. ओरछा के खंडहर जैसे महलों में भी घूमा हूँ और एक बार तो दिल्ली में अपने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से पुराने पांडवों के किले के खंडहरों में होता हुआ क़ुतुब मीनार तक चला गया था.
सच कहा आपने गुरुमेल जी …हर खंडहर अपने अन्दर कई कहानियां समेटे बैठा होता है ..आपका हार्दिक आभार