आओ दीपोत्सव मनाएं
आओ दीपोत्सव मनाएं,
मिलजुल खुश हो झूमें-गाएं,
देश की खुशहाली की खातिर,
माटी के हम दीये जलाएं.
एक दीप हो प्रेम-प्यार का,
स्नेह का और सुसंस्कार का,
“वसुधैव कुटुम्बकम” याद करें हम,
दीप हो बंधुत्व और सत्कार का.
आतिशबाजी नहीं जलाएं,
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाएं,
इनसे बहुत-से रोग लगेंगे,
इनकी कालिख से सब को बचाएं.
घर की साफ-सफाई कर लें,
मन को भी हम शुद्ध बना लें,
कुछ को क्षमा दे हल्के हो लें
और किसी को क्षमा-दान दें.
दीप बुझे ना किसी की आस का,
ऐसा यत्न हमें करना है,
भरे हुओं का भरा तो क्या है!
खाली झोली को भरना है.
भ्रष्टाचार पनपने न पाए,
ऐसा यत्न हमें करना है,
सबसे पहले अपनी झोली,
सदाचार से नित भरना है.
यह ही सच्चा दीपोत्सव है,
आओ दीपोत्सव मनाएं,
स्नेह-प्यार दें हम छोटों को
और बड़ों से आशिष पाएं.