कविता

दिवाली है

मन में हो मौज तो दिवाली है,
वाणी में हो ओज तो दिवाली है.
दीपों का उजास हो तो दिवाली है,
मन में प्रकाश हो तो दिवाली है.
स्नेह का सागर हो तो दिवाली है,
प्रेम का प्रसार हो तो दिवाली है.
बुजुर्गों का सत्कार हो तो दिवाली है,
छोटों के प्रति प्यार हो तो दिवाली है.
शराब न पिएं तो रोज दिवाली है,
जुआ न खेलें तो रोज दिवाली है,
निर्धन भी ‘गर दीप जला पाएं,
तो रोज दीपोत्सव है, सच्ची दिवाली है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244