दीपक
तिल-तिल जलकर भी है दीपक,
देता ज्योति का उपहार,
कभी नहीं कहता है दीपक,
मैंने किया तुम पर उपकार.
दीपों का त्योहार दिवाली,
खुशियाँ लेकर आया है,
पांच दिनों का यह शुभ पर्व,
सबके मन को भाया है.
अन्धकार को दूर भगाकर,
उजियारे को फैलाता,
दीपक का सकारात्मक धुआं,
सूक्ष्म कीटाणु नष्ट कराता.
खुशी में भी हम दीप जलाते,
दुःख में भी यह देता साथ,
देता है सन्देश सभी को,
मदद को सदा बढ़ाना हाथ.
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” की,
साक्षात प्रतिमा दीपक है,
नेह से नेह के दीप जलाना,
हमें सिखाता दीपक है.