गीत/नवगीत

गीत

चांदनी छुपके देखे बदरिया से चंदा खड़ा मुसकाय
सजनी खड़ी देखे छलनी में पिया अब मिल जाये |
छत की मुडेर से दर्शन पाके मट्ठी का भोग लगाय
करवा हिला मिल भाभी तरह आकर व्रत दे खुलाय|
सजनी खड़ी देखे छलनी में पिया को मिल जाये ||

साजन चाँद में देखू और दिल की धडकन थाम पायुं
तेरे हाथ से व्रत खोल के सपना घर सा भी निभायु |
मनुवा कहे, मुझसे निभाते साथ तुम मेरा सदा ,
यह माँग सिंदूरी रहे अधिकार सा प्रियतम को बतायु ।
सजनी खड़ी देखे छलनी में पिया अब मिल जाये ||

प्यार की चिलमन हो उस चकौर से बंधे अरमा शोर
मन की सरगम पूरी हो मिले जो तेरी डोर बंध पाय|
पूरी हो तमन्ना मेरे घर-बार सुहाग लग्न मनुहार सी
वाला चाँद करवा चौथ के, पल तुम्हें पूजा मन लुभाय|
सजनी खड़ी देखे छलनी में पिया अब मिल जाये ||
–रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]