कविता

कविता – जनता गणित समझ गई है

सत्ता में अगर हर बार आने का ठाना होगा
विलंब की विचारधारा को जड़ से मिटाना होगा
जनता गणित समझ गई है अब किसे लाना होगा
चुनाव जीतने विलंब की विचारधारा भगाना होगा
शासकीय कर्मियों को विलंब की विचारधारा से
परियोजनाओं को लागत वृद्धि से बचाना होगा
विकास की गंगा बहाने का अगर ठाना होगा
विलंब की विचारधारा को भगाना होगा
विलंब की विचारधारा को छोड़ना होगा
कल करने वाला काम आज करना होगा
इस विचारधारा में बढ़ने वाली लागतो को
जनहित सुशासन के लिए रोकना होगा
बड़े बुजुर्गों की कहावतों का पालन करना होगा
काल करे सो आज आज करे सो अभी
इस मानसिकता को जेहन में उतारना होगा
विलंब की विचारधारा को छोड़ना होगा।
— किशन सनमुखदास भावनानी 

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया