गीत/नवगीत

उर उजास बढ़ायें

बहुत हुआ आराम काम अब करना होगा।
सत्पथ पर चंचल चपल चरण धरना होगा।।
रहे न कोई भूखा प्यासा छाया हो सर पर।
सुजला सरिताएं शुभ धरा सुवासित अम्बर।
प्रमुदित उपवन कानन फल औषधि सुख बांटें,
धन-धान्य पूरित हों गेह, नेह उगे घर-घर।।
मानव मन की पीर, नीर बन हरना होगा।
गली, द्वार-घर समरसता के दीप  सजायें।
दें प्रेम परिधि विस्तार ‘मलय’ मीत बनायें।
मानवता के पृष्ठ सुकोमल सब मिल बांचें,
कर अंधेरा दूर उर उजास प्रीत बढ़ायें।
श्रम समिधा से शुचि सृष्टि-भवन भरना होगा।।
बहुत हुआ आराम काम अब करना होगा।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com