जब सावन बादल छाए हो
जब चंदा चांदनी में नहाए हो,
जुगनू मिशअल बने कभी देखा है?
तुम आना तो तन्हा आना।
वो नैना जिसके आहू हों,
बोझल हो शाम के जो साए हो,
अरमानों का मेला कभी देखा है ?
तुम आना तो तन्हा आना।
वो जिनके लब पे टेसू हों,
सद-हजार बातें पाए हो,
इस दिल का तीना कभी देखा है?
तुम आना तो तन्हा आना।
जो रुखसारों पे लर्जिश हों,
सुरमई आंखें बादल छाए हो,
खामोश फ़ज़ा को कभी देखा है ?
तुम आना तो तन्हा आना।
दिल पीत की आग में जलता हों,
ठिठुरी आग में अंगियारे पाएं हो
अंदर की तपिश को कभी देखा है ?
तुम आना तो तन्हा आना।
~- बिजल जगड