कविता

हम हैं

दुनिया का रंग और हम हैं,
बीते ख्वाबों ख्यालों की दुनिया,
मैं इक धूप का टुकड़ा ,
तकाबुल आईना और हम है ।
मुक्कमल जहां नही मिलता,
हर किसीको इस दुनिया में,
हर रोज़ एक नया तुफान ,
पर्दा ए-साहिल और हम है ।
उल्फत ना मुरव्वत किसी में,
सिर से पैर तक थर्राई है,
ये प्यार की मोहताज दुनिया,
इश्क चाक पर और हम है।
इक सांस के धागे पे दुनिया,
हर नए मोड़ पर ढूंढा ,
दरिया में दरिया हुई दुनिया
सैलाब -ए मोती और हम है ।
— बिजल जगड

बिजल जगड

२४ साल से क्लीनिकल मेडिकल सेल्स में मल्टीनेशनल कंपनी में पश्चिम और दक्षिण भारत की सेल्स टीम की हैड हिंदी,अंग्रेज़ी एवम् गुजराती साहित्य में रुचि। ६ साल से वे कविता , ग़ज़ल ,लेख ,माइक्रो फ्रिक्शन विधा में लिखती हूं। 29 एंथोलोजी किताब मैं सहभागी हूँ। महात्मा गांधी साहित्य मंच ने मुझे *राजाबलि* के नाम से नवाज़ा है, स्टोरी मिरर ने लिटरेरी कैप्टन ऑफ़ 2020 से नवाज़ा है, आल इंडिया आइकॉनिक अवार्ड हिंदी साहित्य के लिए मिला है, प्रोफाउंड राइटर अवार्ड 2021 के लिए दिया गया है। ८ सालो से आदिवासी गांव महाराष्ट्र और गुजरात में हर महीने दो दिन सेवा देती हूं। इंडिया आइकॉनिक अवार्ड, सेवा परमो धर्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया है, और विजय रूपानी CM गुजरात जी ने मेरे काम के लिए अभिनंदन पत्र भेजा है । आध्यात्मिक सफर १४ साल पहले शुरू हुआ , और वे प्राणिक हीलिंग, एक्सेस बार्स कांशसनेस, साई संजीवनी हीलिंग, टैरो कार्ड ये सब मोड़ालिटी प्रैक्टिस करती हूँ। बिजल जगड मुंबई घाटकोपर