मुक्तक/दोहा

हिन्दी

हिन्दी दिवस के अवसर, हिन्दी में बोलिये,
बोलने से पहले शब्दों को, अपने तौलिए।
विनम्र शब्द हिन्दी में, शालीनता लिए हुए,
विभिन्न भाव लिए शब्द, सब राज खोलिए।
आँख को तरेरिए या आँख झुकाइये,
नाराज़गी हो कहीं, आँख दिखाइये।
पैरों में गिर माफ़ी, चरण छूने की चाह,
कदमों के निशां, बस हिन्दी में बनाइये।
हिन्दी है विलक्षण, यह सरल भी बहुत है,
शब्द सम्पदा हिन्दी की, विशाल बहुत है।
सीखिए भाषाएँ सारी, आपत्ति ज़रा नहीं,
हिन्दी राष्ट्रभाषा- मातृभाषा, गर्व बहुत है।
— डॉ अ कीर्तिवर्द्धन